कुछ चाहते अब हे जो अपनी उतार दी जाए..

कुछ चाहते अब हे जो अपनी उतार दी जाए,
यू ज़िदगी दिल के ईशारो पर ना गुजार दी जाये
................................................. ....
हसरते रास्ते नयी नयी मजिले,
अब ज़िदगी मुकम्मल सवार दी जाये,

कब तल्क इन जुल्मो मे उल्झे,
सरल होकर बेकरारी उभार दी जाए ,

व्क्त के इस पड़ाव पर खुद को समझे,
कुछ काबिलीयत अपनी निखार दी जाये,

"पवन" के इशारो के साथ एक सफर हो,
एक दीशा नयी राह की पतवार दी जाये
p@W@n

Comments

Popular posts from this blog

टूटे ख्वाब