जुबान खामोश, सामने मेरे तेरा चेहरा नही हे !!

जुबान खामोश, सामने मेरे तेरा चेहरा नही हे,
वक्त बदला इतना जो कल मेरा नही आज तेरा नही हे !!
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हमेशा गुरुर ओकात की बात करता हे नादान,
उससे कहो ये वक्त हे किसी एक का होके ठहरा नही हे ,
हर एक ने यहा बडे मुकाम पाए हे ,
विश्वास ओर जुनून के आगे रहा कोई पहरा नही हे
ये ज़िदगी के कुछ ख्वाब अधूरे रह ही जाते हे,
पर अब तेरे दरमियान क्यो खवाब कोई सुनहरा नही हे
हर उम्मीद मे एक नयी वजह मिलती हे जीने की,
उम्मीद के दरमियान ,अब शहर मे कोई अधेरा नही हे
वक्त ही सबसे बडा शीष्क हे एक राही सब सिखाता हे
अभी बचपना हे तभी कहता ये लिखा शब्द गहरा नही हे
p@W@n

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