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Showing posts from October, 2017

सुकून मिले जहा पा ले कुछ

सुकून मिले जहा पा ले कुछ , बचपन समझकर ही चुरा ले कुछ , दुनिया से दूर रहने की तलब हे , खेल समझकर खुद को छुपा ले कुछ जिंदगी से अब वाकिफ मैं हु , मिलेगा सब तलब से चाह ले कुछ मिलती नहीं वजह तो दूढ़ आज तू , बहानो से ही सही पर खुद को हसा ले कुछ !!! Pawan !!

ये बंदिशों में जकड़ा केसा समाज बना दिया

सब ख्वाबो को दौलत का मोहताज बना दिया , जो चल रहा था आज तक वही रिवाज़ बना दिया , मैं अभी तक एक ही जंग हरा हु मेरे दोस्त यहाँ , तूने तो मुझे हर महफ़िल में नजरअंदाज बना दिया सच को छुपाने की हर तरफ नापाक कोशिशे रही हे , मैंने चाहा बोलना सबने मुझे खामोश आवाज बना दिया , कहते तो सब हे हमे बदलना हे अपने आज को , पर ये बेड़ियों ,ये बंदिशों में जकड़ा केसा समाज बना दिया , खुदकुशी की हे उसने न जाने क्या मजबूरी समझकर, लड़ न पाया जिंदगी से मुशिकलों को हमने बेइलाज बना दिया , नफरतो में ढल गए ये मेरे सारे शहर वक़्त दर वक़्त , जी किसने जिदगी मुस्कुराकर सबने यहाँ दफन राज बना दिया !!!!! पवन

बड़ी मजिलो के यहाँ इंतकाम बड़े बड़े !

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बडी मजिलो के इंतकाम बड़े बड़े , हादसों के शहर ये मेरे ,पर नाम बड़े बड़े मोहब्बत को जरा संभाल के ही चलना यहां, मिले हे नफरत रखने वालो से अंजाम बड़े-२ मुझे मेरे माफिक मेरी मर्जी से जी लेने दे , फिर आज आये हे, देने वो मुझे पैगाम बड़े-२ थोड़े और सबर की मुझे आज जरूरत पडी हे , इम्तिहान ज्यादा हे मेरे हे क्योकि काम बड़े-२ Pawan .......!!