यहा जमाने को मुझे यू हराने का इरादा नापाक बन गया,
यहा जमाने को मुझे यू हराने का इरादा नापाक बन गया, एक हसीना सा दिल मे खवाब था बेवजह खाक बन गया, जब भी मेने झूठ देखा समझा जाना यहा, मेरे सच कहने का असूल ओर भी बेबाक बन गया , गिरना सभलना चलता रहा ज़िदगी हे हर दोर मे, जब भी सभला गिराना सबकी नजरो मे फिराक बन गया, ज़िदगी को सिर्फ़ इतना सा ही समझा हे मेने, बेईमानी फरेब जहा भी साथ मिले तब हर झूठ भी पाक बन गया p@W@n