कुछ अधूरा नही होता अब यहा !!!
कुछ अधूरा नही होता अब यहा, मुकम्मल होता हे दोस्ती,नफरत हो या प्यार !!! ............................................................ यू भी खुद को मत गवा यहा, खुदारी मे जीने का हर इत्जाम रख, जीना हे खुद से हर दोर मे यहा, फरक कुछ नही चाहे हाथो मे जाम रख, ये भी एक दोर हे वो भी एक था, उधार ना एक पल या एक को शाम रख, नफरत तो मिलना लाज़मी ही हे यहा, रख सके फिर भी मोहब्बत के पेगाम रख, बाजार हे वाज़िद लगता हे ये समझ, लूटा ना यू खुद को कुछ तो अपने भी नाम रख ! p@W@n