क्या पता यहा फ़िर इश्क मिल जाये
क्या पता यहा फ़िर इश्क मिल जाये,
सुना हे इस शहर मे तनहा बहुत हे !!
................................................. ..........
जीने की वजह मुझमे मोज़ूद होती,,
अग्रर ज़िदगी वफादार थोडी खुद होती
आर पार का हर किस्सा ही यहा तो,
काश मालूम हमे भी एक सरहद होती,
सभाल कर रख लेते खुद को,
इस बेकारी मे बस कुछ तो हद होती
यू भी केसे रुह खोते यहा,
खुद की हिफ़ाजत सिर्फ़ मकसद होती
वो इश्क हमेशा एक मिसाल देता,
सिर्फ़ ये तेरी सच्चाई तेरा वज़ूद होती !!!
p@W@n
सुना हे इस शहर मे तनहा बहुत हे !!
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जीने की वजह मुझमे मोज़ूद होती,,
अग्रर ज़िदगी वफादार थोडी खुद होती
आर पार का हर किस्सा ही यहा तो,
काश मालूम हमे भी एक सरहद होती,
सभाल कर रख लेते खुद को,
इस बेकारी मे बस कुछ तो हद होती
यू भी केसे रुह खोते यहा,
खुद की हिफ़ाजत सिर्फ़ मकसद होती
वो इश्क हमेशा एक मिसाल देता,
सिर्फ़ ये तेरी सच्चाई तेरा वज़ूद होती !!!
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