इश्क की वफ़ा इतनी सी मेरे शहर मे !
इश्क की वफ़ा इतनी सी मेरे शहर मे,
आज ये खाक हे ,,कल वो खाक हे
उल्झन उलफन हे इस जीस्त मे,
तुझे मुझे हराने की कोशीश बड़ी नापाक हे,
ये तेरी केसी नफरत ले रहा हू ना जाने,
शायद तुझे भी मेरी मोहब्बत की फिराक हे,
चेहरो की कारिस्तानी इतनी हे
बात दबी कुछ हे ओर दिल मे एक सुराक हे
मै लिखूगा हर सच हर कदम,
कल भी वही थी आज भी वही बात बेबाक हे
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