आखो को दिखने लगा अब हर सच
अब ये सूरत बदलनी चाहिए,
आग तेरे दिल मे लगे या मेरे दिल मे अब आग लगनी चाहिए,
(दूषयत कुमार)
आग तेरे दिल मे लगे या मेरे दिल मे अब आग लगनी चाहिए,
(दूषयत कुमार)
आखो को दिखने लगा अब हर सच,
ये झूठ ओर सच की परत अब उतरनी चाहिए,
वो क्या ओकात रखते बुजदिल,
मेरे मुल्क मेरे जमीर की तस्वीर निखरनी चाहीये
रास्ता भी मिला मकसद भी,
अब इन काफिलो की मजिल हर कदम चढ़नी चाहिए
बेवजह हो गये फिदा मुल्क पर वीर,
तुझे सच सुनने समझने की हिम्मत तो करनी चाहिए
नफरत देखी हे मेने ये केसी मुल्क से,
समझा हू उतनी तेरे सीने मे मोहब्बत बढनी चाहीये
अब ये सूरत बदलनी चाहिए,
आग तेरे दिल मे लगे या मेरे दिल मे अब आग लगनी चाहिए,
p@W@n
ये झूठ ओर सच की परत अब उतरनी चाहिए,
वो क्या ओकात रखते बुजदिल,
मेरे मुल्क मेरे जमीर की तस्वीर निखरनी चाहीये
रास्ता भी मिला मकसद भी,
अब इन काफिलो की मजिल हर कदम चढ़नी चाहिए
बेवजह हो गये फिदा मुल्क पर वीर,
तुझे सच सुनने समझने की हिम्मत तो करनी चाहिए
नफरत देखी हे मेने ये केसी मुल्क से,
समझा हू उतनी तेरे सीने मे मोहब्बत बढनी चाहीये
अब ये सूरत बदलनी चाहिए,
आग तेरे दिल मे लगे या मेरे दिल मे अब आग लगनी चाहिए,
p@W@n
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