ये बंदिशों में जकड़ा केसा समाज बना दिया
सब ख्वाबो को दौलत का मोहताज बना दिया ,
जो चल रहा था आज तक वही रिवाज़ बना दिया ,
मैं अभी तक एक ही जंग हरा हु मेरे दोस्त यहाँ ,
तूने तो मुझे हर महफ़िल में नजरअंदाज बना दिया
सच को छुपाने की हर तरफ नापाक कोशिशे रही हे ,
मैंने चाहा बोलना सबने मुझे खामोश आवाज बना दिया ,
कहते तो सब हे हमे बदलना हे अपने आज को ,
पर ये बेड़ियों ,ये बंदिशों में जकड़ा केसा समाज बना दिया ,
खुदकुशी की हे उसने न जाने क्या मजबूरी समझकर,
लड़ न पाया जिंदगी से मुशिकलों को हमने बेइलाज बना दिया ,
नफरतो में ढल गए ये मेरे सारे शहर वक़्त दर वक़्त ,
जी किसने जिदगी मुस्कुराकर सबने यहाँ दफन राज बना दिया !!!!!
पवन
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